New Delhi/Alive News : एयर पॉल्यूशन के खिलाफ कारगर कदम उठाने के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार ने ग्रीन फंड के नाम पर दो साल में 1500 करोड़ रुपए वसूले। यह फंड एनवॉयरन्मेंट कम्पनसेशन चार्ज (ECC) के तौर पर ट्रकों और पॉल्यूशन कंट्रोल के नाम पर लिया गया। हैरानी की बात ये है कि लगातार जहरीली धुंध की चपेट में आने के बाद भी सरकार दिल्ली की एयर क्वालिटी सुधारने के लिए इसे खर्च नहीं कर पाई। सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद भी सिर्फ 120 करोड़ रुपए ही एक प्रोजेक्ट में लगाए गए।
SDMC ईसीसी वसूल कर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को देता है
– सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरन्मेंट के रिसर्चर उस्मान नसीम ने कहा, ”ईसीसी साउथ दिल्ली नगर निगम कलेक्ट करता है। हर शुक्रवार को इसे ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को दे दिया जाता है। इसके अलावा दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (DPCC) ने भी सालभर में ‘एयर एम्बियंस फंड’ के नाम पर 500 करोड़ वसूल किए।”
डीजल गाड़ियों पर सेस से 62 करोड़ वसूले
– दूसरी ओर, डीजल कारों पर सेस वसूलने का फैसला शीला दीक्षित सरकार ने 2007 में लिया था। ताकि गाड़ियों के धुएं से एयर क्वालिटी को होने वाले नुकसान से बचा जा सके। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) ने इससे दिल्ली-एनसीआर में 62 करोड़ रुपए जुटाए हैं।
अब इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की योजना
– ईसीसी और पॉल्यूशन कंट्रोल के नाम पर फंड जुटाने और इसके खर्च के सवाल पर दिल्ली ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के सीनियर अफसर ने कहा, ”मंगलवार को ही इस फंड से इलेक्ट्रिक बसें खरीदने के लिए ऑर्डर जारी किया है। बसें काफी महंगी हैं, इसीलिए इन्हें सब्सिडी पर खरीदने की योजना है। हालांकि, अभी साफ नहीं है कि फंड से कितनी इलेक्ट्रिक बसें खरीदी जा सकती हैं।”
सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर सिर्फ 120 करोड़ खर्च किए
– पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद सरकार ने दिल्ली के कुछ इलाकों में रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस लगाने के लिए 120 करोड़ फंड खर्च किए। ताकि ट्रकों और भारी वाहनों से वसूल किए जाने वाले ईसीसी सिस्टम को ज्यादा भरोमंद और आसान बनाया जा सके।
– दूसरी ओर, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड डीजल गाड़ियों से वसूले गए अपने ग्रीन फंड को एयर पॉल्यूशन से जुड़ी स्टडी और मैनेजमेंट में लगाया। जबकि 2.5 करोड़ रुपए से एनसीआर में पॉल्यूशन मॉनीटरिंग सेंटर बनाए हैं।