December 25, 2024

जानिए, जब प्रणब मुखर्जी के चश्मे की हिफाज़त में लगे 10 लंगूर

New Delhi/Alive News : यूं तो हम सब जानते हैं राष्ट्रपति की सुरक्षा में खास तरह से ट्रेंड किए गए जवान तैनात रहते हैं. राष्ट्रपति के लिए इस तरह की चाक-चौबंद सुरक्षा होती है कि वहां परिंदा भी पर नहीं मार पाता है. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के चश्मे की सुरक्षा से जुड़ा एक वाक्या काफी चर्चित हुआ था. साल 2014 के नवंबर महीने की बात है, प्रणब मुखर्जी बतौर राष्ट्रपति मथुरा और वृंदावन के मंदिरों में पूजा करना चाहते थे. राष्ट्रपति खासकर वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण और राधा के दर्शन करना चाहते थे. इस दौरे को लेकर राष्ट्रपति की खास सुरक्षा दस्ता और राज्य पुलिस ने पुख्ता इंतजाम कर लिए थे, लेकिन उन्हें एक बात की चिंता सता रही थी कि वे प्रणब मुखर्जी के चश्मे की सुरक्षा में कोई सेंध न लग जाए. दरअसल, मथुरा और वृंदावन में काफी संख्या में बंदर हैं, वे यहां आने वाले लोगों का चश्मा छीनकर भाग जाते हैं. प्रणब मुखर्जी चश्मा लगाते हैं, इसलिए सुरक्षा बलों को चिंता सता रही थी कि वे बंदरों से कैसे निपटेंगे.

बंदरों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों ने ढूंढी तरकीब :
मथुरा जिले के तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने प्रणब मुखर्जी के चश्‍मे की सुरक्षा के लिए सुरक्षा दस्‍ते में 10 लंगूरों को शामिल किया था. साथ ही मंदिर प्रशासन से भी मंदिर के आस-पास लंगूर तैनात करने को कहा था. राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी मथुरा के वृंदावन चंद्रोदय मंदिर में गर्भगृह के शिलान्यास समारोह में पहुंचे थे.

१३.२५ लाख फौजी के ‘सेनापति’ की सुरक्षा में लंगूर :
वैसे तो राष्ट्रपति सेना के तीनों अंगों के सुप्रीम कमांडर हैं, जिनमें सवा 13 लाख से ज्यादा फौजी हैं. उनकी हिफाजत आर्मी के प्रेसिडेंट बॉडी गार्ड्स करते हैं. आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के तीन एडीसी उनकी सिक्योरिटी में होते हैं, लेकिन वृंदावन में उनकी सुरक्षा में करीब चार हजार अफसर-जवानों के अलावा 10 लंगूर भी शामिल करने पड़े थे.

मथुरा और वृंदावन में जिन सड़कों से राष्ट्रपति गुजरे थे वहां घरों की छतों पर लंगूर तैनात किए गए थे. इसके लिए बकायदा मॉक ड्रिल किया गया था. मालूम हो कि बंदर लंगूर से डरकर भाग जाते हैं.

विदाई समारोह में भावुक हुए मुखर्जी :
संसद भवन में आयोजित विदाई समारोह में संसद सदस्य के तौर पर अपने पहले दिन को याद करते हुए प्रणब मुखर्जी भावुक हो गए. संसद भवन के केंद्रीय सभागार में दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा, “आप सबके प्रति आभार और दिल में प्रार्थना का भाव लिए मैं आप सबसे विदाई ले रहा हूं. मैं संतृप्ति का भाव लिए और इस संस्थान के जरिए इस महान देश के एक विनम्र सेवक के रूप में सेवा करने की दिल में खुशी लिए जा रहा हूं.”