Swaranjali/Alive News
Faridabad: फरीदाबाद जिले के अधिकारी प्रदूषण बढ़ते ही स्कूल को बंद करने में आमदा रहते हैं परंतु ग्रेप-4 के बाद भी शहर में चल रहे भवन निर्माण को रोकने के लिए कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं।
बीते दिनों फरीदाबाद शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 800 के पार पहुंच गया था जो गंभीर श्रेणी में आता है। हालांकि, अब इसमें मामूली सुधार हुआ है लेकिन स्थिति अभी भी चिंताजनक है। ग्रेप-4 लागू होने के साथ प्रदूषण नियंत्रण के लिए नियमों को और सख्त किया गया है। इन नियमों के तहत धूल और प्रदूषण फैलाने वाले सभी निर्माण कार्यो पर पूरी तरह से पाबंदी है। इसके बावजूद भी एनआइटी फरीदाबाद के वार्ड-9 नंगला एन्क्लेव पार्ट-एक और सेक्टर-23 के प्राइमरी सरकारी स्कूल में निर्माण कार्य जारी है। शहर के समाजसेवी और पर्यावरणविद् का कहना है फरीदाबाद के जिम्मेदार अधिकारियों को मकानों व बिल्डिंग पर चल रहे निर्माण कार्य, टूटी सड़कें, खुले में पड़े बिल्डिंग मैटेरियल नही दिखाई दे रहे। हालांकि लोगों द्वारा जिम्मेदार अधिकारियों को लगातार शिकायतें दी जा रही हैं लेकिन कोई कार्यवाही नही हो रही है।
दरअसल, ग्रेप-4 के नियमों की सख्ती से पालना कराने की जिम्मेदारी फरीदाबाद के उपाय़ुक्त विक्रम सिंह, नगर निगम कमिश्नर ए मोना श्रीनिवासन और पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी की है। लेकिन हरियाणा के उच्च अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं और न ही ग्रेप-4 की सख्ती से पालना सुनिश्चित कर रहे हैं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने दिल्ली एनसीआर में सभी प्रदेश के जिला उपायुक्तों को खतरे के निशान पर चल रहे प्रदूषण को देखते हुए और ग्रेप-4 के नियमों को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हुए हैं। फरीदाबाद में जिम्मेदार अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सख्ती से पालना नही करा पा रहें हैं जिसकी वजह से जिले में धड़ल्ले से भवनों के निर्माण कार्य चल रहे हैं।
इसके अलावा फरीदाबाद की विभिन्न कॉलोनी और सेक्टरों में लगातार भवनों के निर्माण कार्य चलने से आमजन को सांस संबंधित समस्या भी हो रही है। एक तरफ प्रदूषण बढ़ने पर बच्चों की शिक्षा को प्रभावित करने के लिए स्कूलों को बंद कराने के फरमान जारी कर दिए जाते हैं लेकिन उपरोक्त अधिकारी फरीदाबाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर ग्रेप-4 के नियमों को सख्ती से लागू कराने में नाकाम साबित हो रहे हैं।
क्या कहना है समाजसेवी और पर्यावरणविद का
प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए धरातल पर कुछ काम नही हो रहा है। सड़के टूटी हुई हैं, भवनों के निमार्ण कार्य़ चल रहे है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी शिकायत के बाद भी कार्यवाही नही कर रहे हैं। ग्रेप-4 के नियम सख्ती से लागू कराना प्रशासन का काम है और शिक्षण संस्थान बंद कराना और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित करना ये कोई समाधान नही है। प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेदारी अधिकारियों को लेनी होगी।
-सरदार देवेन्द्र सिंह, समाजसेवी।
जिम्मेदार अधिकारी सरकार की विकास योजनाओं को राजनीति प्रभाव के चलते नही रोक पा रहे हैं और जब सरकार के निर्माण कार्य ही नही रूकेंगें तो आम आदमी भी अपना काम भी नही रोकेगा चाहे वो किसी भी हद से पार चला जाए।पाल्यूशन को नियंत्रित करने के लिए किसी भी प्रभाव और दबाव से बाहर आकर ग्रेप 4 के नियमों को सख्ती से लागू कराना।
-डॉ जगदीश चौधरी, पर्यावरणविद एवं अध्यक्ष ग्रीन इंडिया फाउंडेशन।
जिम्मेदार अधिकारी रहे बेफिक्र
इस संबंध में जब हमारे संवाददाता ने फरीदाबाद के उपायुक्त विक्रम सिंह, निगमायुक्त ए मोना श्रीनिवासन और फरीदाबाद प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के रीजनल अधिकारी से मोबाइल फोन से बात कर पक्ष जानना चाहा तो उक्त अधिकारियों ने कॉल रिसीव नही की। जब बड़े पदो पर बैठे अधिकारी ही अपनी जिम्मेदारी नही समझेंगे तो इनके सानिध्य में काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारी जनता के साथ क्या न्याय कर पा रहे होंगें। सरकार के समाधान शिविर की जिम्मेदारी भी उपरोक्त बड़े अधिकारियों की है, इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता कि समाधान शिविर में क्या चल रहा होगा। समाधान शिविर में सिर्फ सरकार के कोरम को पूरा किया जा रहा ना कि समस्याओं का समाधान हो रहा है।