Delhi/Alive News: अमेरिका द्वारा जारी मामले में उद्योगपति गौतम अडानी का नाम आने के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर इस मामले को कोर्ट में पेश करने की मांग की गई है।
खबरों के अनुसार, यह आवेदन वकील विशाल तिवारी द्वारा पिछले साल अमेरिकी शोध कंपनी- हिंडनबर्ग रिसर्च के खुलासे में अडानी के खिलाफ लगाए गए आरोपों की स्वतंत्र जांच की मांग के संबंध में दायर याचिका का हिस्सा है।
पिछले हफ्ते अमेरिकी न्याय विभाग और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने अडानी पर भारत में सौर ऊर्जा अनुबंधों को हासिल करने के लिए साल 2020 से 2024 के बीच 265 मिलियन डॉलर की रिश्वतखोरी मामले में व्यक्तिगत रूप से शामिल होने का आरोप लगाया था। अनुमान है कि उन अनुबंधों से अडानी ग्रुप को 20 सालों में 2 अरब डॉलर का मुनाफा हो सकता है।
तिवारी ने कहा है कि अडानी समूह द्वारा ‘किए गए कदाचारों’ का खुलासा करता है, और आरोप इतने गंभीर हैं कि राष्ट्र हित में भारतीय एजेंसियों द्वारा उन आरोपों की जांच की जानी चाहिए।
लाइव लॉ के अनुसार तिवारी ने यह भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के 3 जनवरी, 2024 के आदेशों के बाद भी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अडानी कंपनियों के खिलाफ अपनी जांच पूरी नहीं की है।
उन्होंने कहा है कि सेबी को जांच पूरी कर लेनी चाहिए और जांच में सामने निष्कर्ष को पेश करना चाहिए।
वह आगे कहते हैं, ‘हालांकि सेबी की जांच में शॉर्ट सेलिंग के आरोप थे, और इन आरोपों का विदेशी अधिकारियों द्वारा लगाए गए वर्तमान आरोपों से संबंध हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है। सेबी की जांच रिपोर्ट इस मामले में स्पष्टता लाएगी, और निवेशकों का विश्वास बना रहेगा।
इसके पहले तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर हिंडनबर्ग आरोपों के संबंध में अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच पूरी करने के लिए सेबी को अदालत द्वारा निर्देश देने की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने इस मामले को पंजीकृत करने से इनकार करते हुए कहा था कि ‘कोर्ट ने केवल यह कहा था कि जांच तीन महीने के भीतर पूरी हो जानी चाहिए, लेकिन कोई निर्धारित समयसीमा तय नहीं की थी। ’
तिवारी ने भारतीय अधिकारियों से इस नए प्रकरण में अडानी के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करने का आग्रह किया है, ताकि जनता का विश्वास बहाल किया जा सके।