Faridabad/Alive News : हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के रिटायर्ड कर्मचारी फ्लैट न मिलने से परेशान है। कर्मचारियों का आरोप है कि 414 परिवारों ने फ्लैट की पूरी पेमेंट कर दी है। लेकिन इसके बावजूद शनिवार को हीवो अपार्टमेंट ग्रुप हाउसिंग सोसायटी सेक्टर- 21 डी में एचएसवीपी एमडी, कांट्रेक्टर और कर्मचारियों के बीच मीटिंग हुई। लेकिन अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कोई समाधान नहीं निकला है। हीवो अपार्टमेंट ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट 26 साल से अधूरा पड़ा है। एचएसवीपी के एमडी पिछले 6 साल से कर्मचारियों को केवल आश्वासन दे रहे है। लेकिन कर्मचारियों को कोई राहत नहीं मिल रही है। लोगों का आरोप है कि जब हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण अपनी कर्मचारियों की समस्या का समाधान नहीं कर पा रहा तो आम जनता राम भरोसे है।
दरअसल, हीवो अपार्टमेंट ऑनर्स वेलफेयर आर्गेनाईजेशन के प्रधान आरसी तनेजा और जनरल सेक्रेटरी एसपी अत्री ने बताया कि 1998 में फ्लैट अलॉट हुए थे। तभी एचएसवीपी ने कर्मचारियों से जमीन का पैसा वसूल लिया था। लेकिन एचएसवीपी अधिकारियों को फ्लैट के लिए साइट लेने में 21 साल लग गए। साल 2019 में वन विभाग की जमीन सेक्टर- 21 डी और 19 में फ्लैट बनाने के लिए विभाग को जमीन मिली। यह पूरा प्रोजेक्ट 183 करोड़ का था। एचएसवीपी के एमडी ने निजी कंपनी नन्नू राम कांट्रेक्टर को प्रोजेक्ट पूरा करने का काम सौंप दिया और लोगों को ढाई साल में फ्लैट देने का आश्वासन दिया। जिसके बाद विभाग ने 15 स्टालमेंट बनाकर लोगों से फ्लैट बनाने के लिए पैसा लेना शुरू कर दिया। कोरोना के दौरान लोगों ने बैंक से महंगा लोन लेकर विभाग को 2022 में पूरी पेमेंट कर दी। इस दौरान एचएसवीपी के एमडी ने एक और खेल खेला और बेसमेंट और फस्ट फ्लोर के लिए पर इसेक्वेयर फीट के हिसाब से 2250 रुपये तय कर दिया। जबकि बेसमेंट का पैसा कम होना चाहिए था। इसके अलावा प्रोजेक्ट पूरा होने से पहले ही आखिरी स्टालमेंट फीस और पजेशन चार्ज भी लोगों से ले लिया। यह चार्ज फ्लैट मिलने के बाद देना होता है। लेकिन वह भी लोगों को परेशान करके पहले ही ले लिया गया।
इसके अलावा अन्य कर्मचारियों ने बताया कि रेरा के रूल के अनुसार यदि स्टॉलमेंट देने में बायर्स देरी करते है तो 15 परसेंट पेनल्टी भरनी पड़ती है। लेकिन अगर कॉस्ट्रेक्टर समय पर प्रोजेक्ट पूरा न करें तो उसे ब्लैक लिस्ट करके उस पर 15 परसेंट पेनल्टी लगाई जाती है। लेकिन एचएसवीपी के चीफ कंट्रोलर ऑफ फाइनेंस ने ऐसा कुछ नहीं किया। हद तो तब हो गई जब शनिवार को मीटिंग में कांट्रेक्टर ने काम करने से मना कर दिया। कांट्रेक्टर का कहना है कि विभाग पर उसका 6 करोड़ रुपये बकाया है। वहीं, विभाग के एमडी का कहना है कि प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद बकाया पैसों का भुगतान किया जाएगा। कांट्रैक्टर और एमडी के बीच चल रहे विवाद के का खामियाजा एचएसवीपी के रिटायर्ड कर्मचारी और उनका परिवार भुगत रहा है। लोगों का कहना है कि वैसे मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार खत्म करने की बात कहते है, लेकिन उनके विभाग में ही सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हो रहा है। लोगों ने 16 अप्रैल को मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत भी की थी। लेकिन कुछ नहीं हुआ।
क्या कहना है एमडी का
इस बारे में जब एचएसवीपी के एमडी व चीफ कंट्रोलर ऑफ फाइनेंस (पंचकूला) भारत भूषण से बातचीत की तो वह काम में व्यस्तता जताते हुए सवालों का जवाब देने से बचने लगे। उन्होंने किसी भी सवाल का सही से जवाब नहीं दिया।