Faridabad/Alive News : 37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला की सांस्कृतिक संध्या में हुसैन बंधू ने अपने सूफियाना अंदाज से चौपाल पर बैठे दर्शकों को मद मस्त किया। सांस्कृतिक संध्या के कार्यक्रम की शुरूआत पद्मश्री उस्ताद अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन ने गणपति वंदना के साथ की। सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम में हरियाणा के पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव एमडी सिन्हा ने बतौर मुख्य अतिथि तथा पर्यटन विभाग के प्रबंध निदेशक नीरज कुमार ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
हुसैन बंधू ने मेले की मुख्य चौपाल पर चल मेरे साथी चल, ऐ मेरी जान, अपने बालों को तुम संवारा किजिए जैसी अन्य सुंदर गजलों के साथ शेरो-शायरी से चौपाल पर बैठे दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। मेले की मुख्य चौपाल के माध्यम से दोनो भाइयों ने एक से बढक़र एक प्रस्तुति देकर प्रेम रंग में सबको गुनगुनाने पर मजबूर कर दिया। देश के विख्यात सूफी गायक अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन की गजलों से चौपाल का माहौल सूफियाना हो गया।हुसैन ब्रदर्श ने वर्ष 1959 में जयपुर के आकाशवाणी केंद्र से अपने सफर की शुरूआत की थी।
जयपुर के रहने वाले उस्ताद अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन दोनों सगे भाइयों को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है। यह दोनो भाई क्लासिकी गजल गायकी करते हैं। इनके पिता उस्ताद अफजल हुसैन भी गजल और ठुमरी के मशहूर उस्ताद माने जाते रहे हैं। पिता के द्वारा दी गई सीख कि दोनों भाई एक दूसरे की ताकत बनना को यह दोनों भाई बखूबी निभा रहे हैं। इनके पिता ने ही इन दोनों भाइयों को तालिम दी थी।
आकाशवाणी से शुरू हुआ सफरउस्ताद अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन ने 1959 में जयपुर के आकाशवाणी से सफर शुरू किया। इन दोनों भाइयों ने कई बार कहा है कि जमाना बदला है तो संगीत पेश करने का तरीका भी बदलेगा ही, जैसे मौसम, खयालात, दिमाग और हालात सब बदल जाते हैं तो संगीत भी बदलता है। वर्षों से छाए हुए इन हुसैन बंधू को पदमश्री के अवार्ड से नवाजा गया है।मुंबई पहुंचकर बनाया पहला एलबमजयपुर में परफॉर्मेंस के दौरान सितारा देवी के कहने पर दोनो भाई मुंबई गए, जहां सितारा देवी ने दोनों भाइयों को मुंबई में कल्याण-आनंद से मिलवाया। उसके बाद 1970 में एलबम गुलदस्ता रिलीज हुआ, जिसका गीत मैं हवा हूं कहां वतन मेरा लोगों द्वारा बहुत पसंद किया गया। उनका यह एलबम बहुत लोकप्रिय हुआ।