November 17, 2024

मुख्य चौपाल पर कलाकारों ने बिखेरी सांस्कृतिक धरोहर की भव्य झलक

Surajkund/Alive News: 37वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले की मुख्य चौपाल पर गुरुवार को देश-विदेश के कलाकारों ने अपने वाद्य यंत्रों के माध्यम से अपनी कला की शानदार पेशकश से सांस्कृतिक धरोहर की भव्य झलक बिखेरी। महाराष्ट्र के कलाकारों ने लावणी नृत्य कर चौपाल पर बैठे पर्यटकों का मन मोह लिया।

लावणी का अर्थ है लावण्य अर्थात सुंदरता। लावणी नृत्य प्राचीन काल में राजा महाराजाओं के दरबार में उनके मनोरंजन के लिए पेश किया जाता था। लावणी, खड़ी लावणी आदि की प्रस्तुति देवी देवताओं की वंदना जैसे गणपति वंदन, मां सरस्वती वंदन हेतु प्रस्तुत की जाती है। मेले की मुख्य चौपाल पर कलाकारों ने दर्शकों को सलामी देने में भी लावणी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी।

जांबिया देश के कलाकारों ने फुल्ला नृत्य की जोरदार प्रस्तुति देकर चौपाल पर बैठे दर्शकों को झूमने पर विवश कर दिया। फुल्ला नृत्य खेत में अच्छी फसल की पैदावार होने पर किसानों द्वारा अपनी खुशी का इजहार करने के दौरान किया जाने वाले नृत्य है।

चौपाल पर एक ओर जहां एस्वतीनी देश की राजधानी लोबाम्बा से आए कलाकारों ने समाया शेषे नमो नम: ग्रुप डांस प्रस्तुत किया। वहीं दूसरी ओर कजाकिस्तान के कलाकारों ने बाल बालब्राऊ, एसन्जे, आसात्याक नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। किर्गिस्तानी एरूक गल्र्स डांसिंग ग्रुप ने एर्जिमे, चैकमा, झालंबिय, मिंकीअल डांस की मनहारनी प्रस्तुति दी।

केप वर्दे देश के कलाकारों ने अपनी गायन, वादन और नृत्य की सुंदर कला से दर्शकों को मंत्र मुग्ध किया। केप वर्दे के यह कलाकार अब तक लगभग 50 देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। बडी चौपाल पर बैठे दर्शक उस समय झूम उठे जब पंजाब प्रांत के कलाकारों ने भंगड़ा की पेशकश दी। पंजाबी कलाकारों ने कर कॉल सोणिये, सिटी ना मार मुंडेया, बाप थानेदार लग्गया जैसे पंजाबी गीतों पर भंगला पाकर मुख्य चौपाल पर बैठे सभी दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर दिया।