New Delhi/Alive News: नहाय खाय से शुरू हुए आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज चौथे दिन उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया। चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसी के साथ छठ महापर्व का समापन हो जाता है। छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इसके बाद दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन को ऊषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। छठ का पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। महिलाओं द्वारा छठ का व्रत संतान की लंबी उम्र और उनके खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है।
पिछले 4 दिनों से धूमधाम से छठ का पर्व मनाया जा रहा था। छठ पूजा में शामिल होने के लिए लोग अपने-अपने शहर पहुंचे, ट्रेनें खचाखच भरी थीं, तो वहीं लोग फ्लाइट का दोगुना किराया देकर भी छठ पूजा में शामिल होने अपने-अपने शहर पहुंचे। ऐसी मान्यता है कि जो एक बार छठ की पूजा शुरू करता है, उसे तब तक करना पड़ता है, जब तक दूसरी पीढ़ी से कोई व्रत को न उठाए। रिपोर्ट्स के मुताबिक सिर्फ बिहार में ही करीब सवा करोड़ लोगों के घर छठ पूजा होती है। वहीं बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी ये त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है।
चार दिन का पर्व छठ पूजा का समापन उषा अर्घ्य के साथ होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ के व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले लोग सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद सूर्य देव और छठ माता से संतान के सुखी जीवन और परिवार की सुख-शांति और सभी कष्टों को दूर करने की कामना करते हैं।
छठ महापर्व पर भगवान सूर्य देव को अर्घ्य एवं अन्य दिनों में उनकी पूजा करते समय नीचे दिए गए मंत्रों का जप करने पर शीघ्र ही आपको मनाचाहा वरदान प्राप्त होगा।