Delhi/Alive News: दिल्ली एनसीआर में प्रदुषण के बढ़ने से मरीजों का आंकड़ा भी काफी ज्यादा बढ़ गया है साथ ही लोगो की दिल की धड़कने भी तेज हो गयी है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि इन मरीजों की उम्र 20 से 45 साल के बीच है। इन मरीजों में अचानक धड़कन बढ़ना, रक्तचाप में उतार-चढ़ाव की समस्या ज्यादा देखी जा रही है। वहीं, काफी मरीज हार्ट फेल, दिल का दौरा, अत्यधिक उच्च रक्तचाप की समस्या के साथ पहुंच रहे हैं। ऐसे मरीजों के लिए बढ़ता प्रदूषण स्थिति को गंभीर बना रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार प्रदूषण के कारण दिल तक साफ हवा नहीं पहुंच पा रही। ऑक्सीजन के साथ प्रदूषक तत्व फेफड़ों को पार करके दिल तक पहुंच जाता है। यहां से इनका प्रवाह खून में मिलकर पूरे शरीर में हो जाता है। इसके साथ यह दिल की धड़कन की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। प्रदूषक तत्व खून में मिलकर ब्लॉकेज बना सकता है, जिस कारण हार्ट फेलियर, दिल का दौरा जैसी समस्या हो सकती है।
इस बारे में डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. तरुण कुमार का कहना है कि प्रदूषक तत्व सांस के माध्यम से फेफड़ों के रास्ते दिल तक पहुंच रहे हैं। यह यहां दिल की बीमारी को बढ़ा रहे हैं। इनके कारण इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की संख्या 15 फीसदी तक बढ़ गए हैं। ऐसे मरीजों में हार्ट फेलियर, हार्ट अटैक के मामले ज्यादा दिख रहे हैं।
इन मरीजों में अनियंत्रित रक्तचाप, चक्कर आना, सिर में दर्द, धड़कन तेज होना जैसी शिकायतें मिल रही है। जो सामान्य दिनों कम दिखती है। प्रदूषण के कारण स्थिति गंभीर हो जाती है। खासकर दिल के मरीजों के लिए। यह उन लोगों के लिए भी खतरनाक है जिनके परिवार में ऐसी समस्या होती है।
इस बारे में डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. तरुण कुमार का कहना है कि प्रदूषक तत्व सांस के माध्यम से फेफड़ों के रास्ते दिल तक पहुंच रहे हैं। यह यहां दिल की बीमारी को बढ़ा रहे हैं। इनके कारण इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की संख्या 15 फीसदी तक बढ़ गए हैं। ऐसे मरीजों में हार्ट फेलियर, हार्ट अटैक के मामले ज्यादा दिख रहे हैं।
इन मरीजों में अनियंत्रित रक्तचाप, चक्कर आना, सिर में दर्द, धड़कन तेज होना जैसी शिकायतें मिल रही है। जो सामान्य दिनों कम दिखती है। प्रदूषण के कारण स्थिति गंभीर हो जाती है। खासकर दिल के मरीजों के लिए। यह उन लोगों के लिए भी खतरनाक है जिनके परिवार में ऐसी समस्या होती है।
बड़े स्तर पर अध्ययन की जरूरत सफदरजंग, एम्स, आरएमएल, जीटीबी, डीडीयू सहित दिल्ली के विभाग सरकारी और निजी अस्पतालों में प्रदूषण बढ़ने के कारण दिल के मरीजों की संख्या बढ़ी है। हालांकि बढ़त की दर क्या है इसके जांच के लिए बड़े स्तर पर अध्ययन की जरूरत है।
डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली के अस्पतालों में मरीजों के स्लॉट सीमित होते हैं। ऐसे में समाज में ऐसे बढ़ते मामलों का सही आंकड़ा नहीं मिल पाता। दिल के मरीजों के बढ़ते दरों का सही अनुमान हासिल करने के लिए बड़े स्तर पर अध्ययन की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण के कारण शरीर की क्रिया प्रभावित हो रही है। दिल के मरीज पहले ही संभावित श्रेणी में रहते हैं, प्रदूषण का स्तर गंभीर होने पर स्थिति बिगड़ जाती है।
कम उम्र में बढ़ समस्या बढ़ा रहे चुनौती
भारत के भौगोलिक व अन्य कारणों से देश में कम उम्र के लोगों में दिल की समस्या बढ़ रही है। यह डॉक्टरों के लिए बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञों का कहना है कि 20 की उम्र में दिल का रोग होना चिंता का विषय है। यह स्वास्थ्य बजट को बढ़ाने के साथ युवा पीड़ित को भी बीमार बना रहा है। जबकि यह उम्र उत्पादक होती है।