Faridabad/Alive News: सूरजकुंड रोड स्थित सिद्धदाता आश्रम एवं लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम के संस्थापक वैकुंठवासी स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज की भार्या वैकुंठवासी गुरु माता जी की मूर्ति का अनावरण का कार्य संपन्न हुआ। यह कार्य उनके ज्येष्ठ पुत्र एवं आश्रम के अधिपति जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज द्वारा संपन्न किया गया।
इस अवसर पर स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य ने कहा कि गुरु महाराज ने लाखों लोगों को भगवदभक्ति की राह दिखाई और उन्हें संभालने का काम गुरु माताजी ने भी किया। गुरु महाराज इतनी बड़ी संपदा और इतना बड़ा परिवार एकत्रित कर सके क्योंकि उनके पीछे गुरुमाताजी का भी सक्रिय योगदान एवं त्याग सम्मिलित था। गुरु माताजी में भक्तगण गुरुजी का ही रूप देखा करते थे और गुरु माता की आज्ञा को गुरु की आज्ञा ही मानते थे। उन्होंने कहा कि गुरु महाराज की समाधि के निकट ही माता जी की पुण्य स्मृति स्थल बनाया गया है जिसमें उनकी सुंदर मूर्ति विराजित की गई है। जिनके समक्ष शिष्यगण अपनी प्रार्थना कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि भक्तों को इस अवसर की लंबे समय से प्रतीक्षा थी जो अब पूरी हो गई है। स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य ने कहा कि गुरु माता मेरी लौकिक माता होने के साथ-साथ मेरे गुरु की भार्या होने से और अधिक सम्मान की पात्र थीं। उनके नाम को और उनकी शिक्षाओं को भगवत भक्तों में पहुंचाना मेरा कर्तव्य है।
गौरतलब है कि गुरु माता जी का 7 अगस्त 2019 को परलोक गमन हो गया था जिनका लौकिक नाम अशर्फी देवी था। वह आश्रम के संस्थापक स्वामी सुदर्शनाचार्य की भार्या एवं वर्तमान गुरुदेव स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज की मां थीं। स्वामी सुदर्शनाचार्य का वैकुंठ गमन वर्ष 2007 में हो गया था, जिनका समाधि स्थल आश्रम परिसर में ही बनाया गया है। अब उनके समक्ष गुरु माता जी की भी मूर्ति की स्थापना की गई है। इस अवसर पर रामानुज मत की परंपरा का निर्वहन किया गया। अब यहां गुरु माता जी की मूर्ति के समक्ष अन्य देव दरबारों के समान ही विधि विधान से पूजा आदि जारी रहेगी।