November 6, 2024

सरकार की विफलता के कारण गरीब अपने बच्चों को निजी स्कूल भेजने में असमर्थ

Bengluru/Alive News: कर्नाटक उच्च न्यायालय का कहना है कि स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में सरकार की विफलता ने उन गरीब लोगों को अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजने के लिए मजबूर कर दिया है जो दिन में तीन बार का भोजन भी नहीं जुटा सकते।

पीठ ने 2013 में मीडिया रिपोर्टों के आधार पर अदालत में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह सवाल पूछा.अदालत ने कहा कि सरकारी स्कूलों में शौचालयों और पेयजल सुविधाओं की कमी से संबंधित कमियां 2013 में बताई गई थीं लेकिन इन कमियों को दूर करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। कोर्ट ने कहा कि अब तक 464 सरकारी स्कूलों में शौचालयों की कमी है और 32 में पीने के पानी तक की सुविधा नहीं है।

कोर्ट ने सरकार की निष्क्रियता पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए आठ सप्ताह के भीतर सभी स्कूलों में उपलब्ध करायी जा रही बुनियादी सुविधाओं पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सोमवार को कहा, ”क्या राज्य को ये सब बताना हमारा काम है? ये सब कई सालों से चल रहा है। बजट में स्कूलों और शिक्षा विभाग के लिए कुछ राशि दिखाई गई है। उस रकम का क्या हुआ? ,

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने गरीबों के लिए राज्य सरकार की मुफ्त योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उसे ऐसी योजनाओं से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जिन स्कूलों में गरीब छात्र पढ़ते हैं, वहां जरूरी और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराना सर्वोपरि होना चाहिए। कोर्ट ने कहा, ”शिक्षा मौलिक अधिकार है। लेकिन सरकार सरकारी स्कूलों में सुविधाएं उपलब्ध कराने में विफल रही, जिसके कारण गरीब लोगों को अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा। इससे अप्रत्यक्ष रूप से निजी स्कूलों को फायदा हो रहा है।”