Faridabad/Alive News : पानी के बिना जीवन सूना है, बिना जल के जन जीवन ही संभव नहीं है। फरीदाबाद भूजल क्षेत्र के रेड जोन में आ गया है। इसलिए पीने के पानी का केवल पीने के लिए ही इस्तेमाल करें। इसके लिए आमजन को भागीदार बना कर ही सरकार, समाज,न्यायपालिका बेहतर कार्य कर सकते है।
यह बात एनजीटी के चेयरमैन कम सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व जस्टिस आदर्श गोयल ने शनिवार को एनआईटी-3 के डीएवी कॉलेज के कांफ्रेंस हाल में भारतीय संस्थान इंडिया फाउंडेशन व लघु संस्थान द्वारा आयोजित भूजल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के बारे में आयोजित कार्यशाला में उपस्थित शहर प्रबुद्ध लोगों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि एनसीआर क्षेत्र में पानी की जरूरत दिन-प्रतिदिन जन जनसंख्या के हिसाब से बढ़ती जा रही है और वर्तमान में इसके संरक्षण के बारे में चिंतन शालाएँ करना जरूरी है। एनजीटी के चेयरमैन एवं पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस आदर्श गोयल ने कहा कि चिन्तनशाला में धरातल से जुड़ी हुई सरकारी और गैर सरकारी बातें आगे आ गई है। बेहतर काम करोगे तो समस्याएं भी आती है, उसका समाधान भी होता हैं। हम सबको मिलकर भूजल संरक्षण के समाधान के बारे में कार्य करना है।
सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस आदर्श गोयल ने कहा कि कार्यशाला में सरकार की तरफ से और प्रशासन की तरफ से टेक्नोलॉजी बातें की गई है। वही टेक्निकल उपलब्धता के बाद भी समाधान क्यों नहीं हो रहा यह एक चिंतनशील विषय है। उन्होंने विधान पालिका की बात करते हुए कहा कि संविधान में अधिकार की बात है तो लेकिन हमारे कर्तव्य भी होते हैं। इसलिए अधिकार के साथ-साथ लोगों को कर्तव्य के प्रति भी जागरूक होना पड़ेगा। तभी हर समस्या का समाधान निकलेगा।
उन्होंने कहा कि समस्या भी हमारी है और समाधान भी हमें ही निकालना है। कोई भी बाजार पैसों से समस्या का समाधान करता है, लेकिन हम सब मिलकर सामने खङी ज्वलंत भू-जल समस्या के समाधान के लिए आम जन में जागरूकता पैदा करके ही सब के सहयोग से किसी भी समस्या का समाधान आसानी से निकल जाता है। जस्टिस आदर्श गोयल ने कहा कि पीने के पानी का कृषि के क्षेत्र में भी इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने बताया कि एक सर्वे के अनुसार देश में कुल मीठे पानी की उपलब्धता में से 70 प्रतिशत पानी खेती के लिए इस्तेमाल हो रहा है। वहीं 20 प्रतिशत पानी व्यर्थ जा रहा है। जबकि 10 प्रतिशत पानी का ही घरेलू उपयोग के लिए सही सदुपयोग हो रहा है।
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए पानी की जरूरत उसकी उपलब्धता के अनुसार हमें चिंतन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक साधनों को बचाना है, तो जीवन शैली में परिवर्तन लाना होगा। वहीं जीवन शैली के दृष्टिकोण में भी परिवर्तन लाना होगा। उन्होंने कहा कि शहरों में गार्बेज और उसके नियन्त्रण में बहुत बड़ा गैप है। गार्बेज और उसके नियंत्रण पर केंद्र सरकार द्वारा देश में लगभग 80000 करोड़ रुपये की धनराशि रुपए सरकार द्वारा खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी गार्बेज का सही रूप से निपटान नहीं किया जा रहा है।
उन्होंने पानी की उपलब्धता पर बोलते हुए कहा कि एनसीआर में 1380 मिलियन गैलन लीटर पानी प्रतिदिन चाहिए जबकि इसकी उपलब्धता 1000 मिलियन गैलरी लीटर है। इसके प्रोसेसिंग नियंत्रण के लिए सरकार और उद्योगपति बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकते हैं सरकार को इसका मापदंड निर्धारण निर्धारित करना चाहिए। भूजल संरक्षण के लिए अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करना चाहिए। छात्रों की कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और स्कूलों में सांसद कोर्ट के कार्य लागू करने चाहिए। कानून के क्रियान्वयन के लिए समाज में गैप को भी दूर करना चाहिए। जन अभियान चलाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा भू जल संरक्षण के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में पौण्ड अथॉरिटी और शहरी क्षेत्रों में वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी बनाई गई है। जो कि अपना बेहतर कार्य कर रही है। लोगों को में अधिक जागरूकता नहीं होगी, तब तक सरकार की कोई भी जनकल्याणकारी नीति का सही सफल संचालन नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि समस्या है, समाधान चाहिए। प्रयास हो रहे हैं, लेकिन जितने चाहिए उतने नहीं हो रहे यह एक यह भी एक समस्या है। मीठे पानी की समस्या है, इसका समाधान भी है और इसमें जनभागीदारी भी जरूरी है। इस विषय पर चिंतन करने की समाज को जरूरत है।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए मानव रचना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ प्रशांत बल्ला ने कहा कि जल संरक्षण बहुत ही बेहतर तरीके से किया जाना चाहिए। अटल भूजल जल संरक्षण सहित अन्य क्षेत्रों में भी जल संरक्षण के लिए मानव रचना विश्वविद्यालय अपना कार्य कर रहा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड के सदस्य टीवीएस सिंह ने कहा कि फरीदाबाद में दिन प्रतिदिन भूजल गिरता जा रहा है। हमारी जनसंख्या बढ़ती जा रही है। एनसीआर में लगभग 2 करोड के लगभग जनसंख्या हो गई है इसके आने वाली पीढ़ियों के लिए हमें जल संरक्षण करने की चिंतन करने की बहुत जरूरत है।
उन्होंने विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए कहा कि जनसंख्या के हिसाब से पानी की रिचार्जिंग संभावनाओं को तलाशना होगा। भूजल को रिचार्ज करोगे तो सफलता जरूर मिलेगी। रेन वाटर, हार्वेस्टिंग वाटर, नेचुरल रिचार्ज, आर्टिफिशियल रिचार्ज करना जरूरी है। वर्षा और वेस्ट पानी की रीसाइकलिंग वाटर मैनेजमेंट व जल संरक्षण करने की जरूरत है।
गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला ने कहा कि सरकार द्वारा एसटीपी बनाकर पानी की रिसाइकिलिंग की जा रही है ।उन्होंने गुरुग्राम का जिक्र करते हुए का के गुरुग्राम में एसटीपी के जरिए हर पार्क में पानी की रीसाइक्लिंग की जा रही है। उन्होंने चर्चा करते हुए कहा कि पहले बावड़ी और कुआं से पानी मिलता था। पानी की उपलब्धता अधिक हो गई है। गुणवत्ता कम हो गई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पानी हमारी विरासत है की योजना के तहत भी बेहतर कार्य क्रियान्वित किए जा रहे हैं। एनसीआर क्षेत्र में पानी की उपलब्धता जनसंख्या के हिसाब से कम है इसलिए हमें भूजल संरक्षण करना जरूरी है।
फरीदाबाद के विधायक नरेंद्र गुप्ता ने कहा कि समाज की विधान पालिका, न्यायपालिका, समाज के प्रबुद्ध वर्ग को एक कार्यशाला आयोजित की गई है। यह भी एक सराहनीय कदम है। हम सबका दायित्व कि हमारी अपनी संपत्ति के साथ-साथ हम सरकार की संपत्ति को भी अपनी संपत्ति समझनी चाहिए। इसके लिए सरकार भी गंभीरता से कार्य कर रही है। गत दिनों मुंबई में भू-जल संरक्षण के लिए देश के विभिन्न पार्टियों के लगभग 2000 विधायकों की तीन दिवसीय कार्यालय आयोजित इस पर की गई थी। कि जल संरक्षण को कैसे बचाया जाए और इसका सदुपयोग कैसे किया जाए। उन्होंने कहा कि पीने के पानी को व्यर्थ नहीं बहाना चाहि। हरियाणा में प्रतिवर्ष 3 मीटर पानी भूजल नीचे जा रहा है। हरियाणा रेड जोन में आ गया है। इसलिए हर नागरिक में जागरूकता पैदा करके जल संरक्षण के बारे प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र में अथॉरिटी पोण्ड के माध्यम से सीही गांव में 10 एकड़ का तालाब और बुडेना गांव में 2 तालाबों पर का कार्य चालू है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में प्रदेश में जल संरक्षण के बहुत से कार्य किए जा रहे हैं।
विधायक सीमा त्रिखा ने कहा कि सरकार का प्रयास यह है कि अंतिम व्यक्ति तक सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों का लाभ मिले। वहीं सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों के क्रियान्वयन के लिए भी अंतोदय व्यक्ति सरकार का सहयोग करें। तभी हम भूजल आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षण कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि ग्रीन ट्रिब्यूनल की हिदायतों के अनुसार प्रशासनिक तौर पर सरकार की पर्यावरण और जल संरक्षण के लिए अनेक योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है। उन्होंने बड़खल विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक वार्ड में एसटीपी बनाने का कार्य किया जा रहा है। वही एटीडब्लू ऑल टाइम वाटर होने चाहिए के बारे में चर्चा की कार्यशाला में चर्चा होनी चाहिए। प्रत्येक वार्डों में यदि बड़ी-बड़ी संस्थाएं एसटीपी और एटीडब्ल्यू को गोद ले ले तो निश्चित तौर पर आने वाली पीढ़ी के लिए पानी का संरक्षण किया जा सकता है।
भारत सेवा प्रतिष्ठान के कृष्ण, राकेश गुप्ता, अरुण वालिया, जयकिशन, डॉक्टर बालकिशन, संजय कटियाल, दीपक अग्रवाल, राजकुमार टिकरी, एसके तोमर, एमसी गुप्ता, डीएवी कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ सविता भगत ने भी अपने सुझाव कार्यशाला में दिए। कार्यशाला में शहर के कई उद्योगपति व जल संरक्षण के प्रबुद्ध वर्ग के लोग उपस्थित रहे।