Delhi\Alive News: 81 साल की उम्र में एक पूर्व फौजी ने फिर से साबित किया है कि पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती। इस कहावत को सच साबित किया है हरियाणा के सिरसा के पूर्व फौजी लाल चंद गोदारा ने। उन्होंने इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय के करनाल में आयोजित दीक्षांत समारोह में उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री ली।
लाल सिंह गोदारा ने बताया कि उन्हें कम उम्र में ही भारतीय सेना में नौकरी मिल गई थी। जिसके चलते वह आगे पढ़ाई नहीं कर सके थे। कम शिक्षा के कारण उन्हें कई बार लोगों के ताने सुनने पड़ते थे। यहां तक कि उनके पोते-पोती भी आगे और पढ़ने के लिए कहा करते थे।
अपने असपास के लोगों से ताने सुन-सुनकर उन्होंने भी पढ़ाई का मन बनाया और 10वीं, 12वीं प्राइवेट पास किया। अब इग्नू से ग्रेजुएशन की डिग्री ली। लेकिन लाल चंद गोदारा अभी इतने पर ही रुकने वाले नहीं हैं। उनका सपना अभी एमए की डिग्री हासिल करने का भी है।
लाल चंद गोदारा कहते हैं कि जीवन में कोई भी मंजिल पाने के लिए शिक्षा रोशनी की तरह है। उन्हें जब तक यह बात समझ में आई तब तक 76 साल के हो चुके थे। उनका कहना है कि उन्होंने बेशक बतौर सैनिक देश की सुरक्षा के लिए जान की बाजी लगाई लेकिन अनपढ़ होने का ताना गोली से भी ज्यादा दर्द देने वाला था।
लाल चंद गोदारा बताते हैं कि वह तीन युद्धों में भाग ले चुके हैं। उनके भीतर शिक्षा हासिल करने का अभी जज्बा बरकरार है। उन्होंने ठान लिया था कि इस उम्र में पढ़ाई करके ताना देने वालों को करारा जवाब देंगे।
इग्नू के इस दीक्षांत समारोह में चंडीगढ़ और करनाल रीजन के 300 से अधिक छात्रों को डिग्रियां प्रदान की गई। इस अवसर पर दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि थीं। साथ ही केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी शामिल हुए। वहीं करनाल में आयोजित दीक्षांत समारोह में हरियाणा शिक्षा बोर्ड के सचिव डॉ राजेश गोयल ने बतौर मुख्य अतिथि विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की।