November 17, 2024

निजी स्कूलों की मनमानी पर पक्ष और विपक्षी दल के नेता मौन

Faridabad/Alive News: हर साल की तरह इस साल भी नए शिक्षा सत्र में प्राइवेट स्कूल संचालकों ने मनमानी करते नज़र आ रहे है। नए शिक्षा सत्र में फीस की वृद्धि कर दी है, किताब व वर्दी बदल दी हैं, कमीशन खाने के चक्कर में अभिभावकों से एनसीआरटी किताबों की जगह महंगी प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें खरीदवाई जा रही हैं। इससे अभिभावक काफी परेशान हैं। बैंक से लोन व कर्जा लेकर स्कूलों की मनमानी को पूरा कर रहे हैं। नेता व अधिकारी उनकी कोई मदद नहीं कर रहे हैं।

हरियाणा अभिभावक एकता मंच व अभिभावकों ने स्कूलों की मनमानी की शिकायत फीस एंड फंड्स रेगुलेटरी कमेटी के चेयरमैन कम मंडल कमिश्नर, जिला शिक्षा अधिकारी सहित मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री से लिखित में की है। रोजाना समाचार पत्रों में, टीवी डिबेट में स्कूलों की मनमानी की खबर प्रकाशित हो रही हैं उसके बावजूद अभिभावकों के हित में कोई भी उचित कार्रवाई नहीं हो रही है। आगे अगर कार्यवाही हुई भी तो तब तक अभिभावक पूरी तरह से लूट, पिट चुके होंगे। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह है कि जिले का सांसद, सभी विधायक, निवर्तमान व आगे चुनाव लड़ने वाले पार्षद तथा विपक्षी पार्टी के नेता भी प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर कुछ भी नहीं कह रहे हैं, पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं।

कुल मिलाकर यही कहना है कि अधिकारियों के साथ-साथ सत्तारूढ़ व विपक्षी दल के नेताओं का पूरा समर्थन व संरक्षण प्राइवेट स्कूल संचालकों को मिला हुआ है। इसी के चलते उनके हौसले बुलंद हैं। मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा व ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन आईपा के जिला अध्यक्ष एडवोकेट बीएस विरदी ने कहा है कि सभी जनप्रतिनिधि व नेता अभिभावकों के वोटों से ही विजयी होते हैं फिर वे मुसीबत के समय गरीब, मिडिल क्लास अभिभावकों की मदद क्यों नहीं करते हैं।

वे अभिभावकों व आम जनता को सार्वजनिक तौर पर उन कारणों को जरूर बताएं जिनकी वजह से वे अभिभावकों की मदद नहीं कर पा रहे हैं। अगर यह कारण नहीं बताए गए तो अभिभावक चुनाव के दौरान जरूर उनसे कारण पूछेंगे।

कैलाश शर्मा व सुभाष लांबा ने अभिभावकों से कहा है कि वे अपने वोट की ताकत को पहचाने और उसका एहसास जनप्रतिनिधियों को कराएं। जब जनप्रतिनिधि व नेता मुसीबत के समय अभिभावकों की मदद नहीं करते हैं तो अभिभावक भी चुनाव में उनकी मदद ना करें।