November 18, 2024

शराब घोटाले पर विधायक ने सरकार को घेरा

Chandigarh/Alive News: एनआइटी फरीदाबाद से कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे चरण में शराब घोटाले पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान सरकार को घेरा। आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि लाकडाउन के दौरान बड़ा घोटाला हुआ था लेकिन सरकार सिर्फ जांच कमेटियां गठित करने में ही व्यस्त रही। जबकि प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी इस प्रदेश में लूट मचाकर चले गए।

लाकडाउन के दौरान 2020-21 में शराब से सरकार को 6786.78 करोड़ और 2021-22 में 7936.71 करोड़ रुपये राजस्व मिला। यानी एक ही साल में सरकार का राजस्व 1250 करोड़ रुपये बढ़ गया। इसलिए यह माना जा रहा है कि 2020-21 में एक हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान घोटाले की वजह से सरकार को हुआ।

नीरज शर्मा ने कहा कि सरकार ने 11 मई 2020 को खरखौदा के सरकारी गोदाम से हुई शराब की चोरी की जांच के लिए जो विशेष जांच टीम गठित की थी, उसकी रिपोर्ट में यह लिखा गया है कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक प्रतीक्षा गोदारा को शराब घोटालों के बारे में जानकारी थी लेकिन उन्होंने कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। इसलिए सरकार को प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों चाहे वह प्रतीक्षा गोदारा हो या फरीदाबाद नगर निगम के घोटाले में आरोपित सोनल गोयल, सभी के खिलाफ सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। इन अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में इनके कारनामों को विशेष टिप्पणी के साथ अंकित करना चाहिए।

विधायक ने कहा कि सरकार जांच और अनुसंधान के बीच भेद करने की बजाय, कार्रवाई पर ध्यान दे। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री मनोहर लाल का जो जुनून बताया गया था, वह भी अब तक कार्रवाई नहीं होने के बाद खत्म होता नजर आ रहा है। शर्मा ने कहा कि – तू इधन-उधर की न बात कर, ये बता कि काफिला कहां लुटा। मुझे रहजनों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है।।

विधायक नीरज शर्मा ने इनेलो के अभय चौटाला का साथ देते हुए सदन में पेगासस का मुद्दा फिर उठाते हुए कहा कि सरकार से उन्होंने यह पूछा था कि राज्य के आइपीएस अधिकारी इजराइल साफ्टवेयर पेगासस खरीदने के लिए वहां गए थे या नहीं और इजराइल की गुप्तचर एजेंसी पेगासस से अधिकारियों की मुलाकात हुई थी या नहीं। सरकार ने इसका अधूरा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट जाएंगे लेकिन अब सदन में ऐसे प्रस्ताव लाए जा रहे हैं कि सदन की कार्यवाही को लेकर न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकता। ऐसे में यह बताएं कि यदि किसी जनप्रतिनिधि की बात विधानसभा में नहीं सुनी जाती है तो वह कहां जाए।