Faridabad/Alive News: श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति राज नेहरू ने कहा कि भावनात्मक बुद्धिमता को कार्यशैली में उतारना सबसे जरूरी है। भावनात्मक बुद्धिमता एक प्रबंधक को लीडर के रूप में विकसित करती है। इसके लिए आत्म प्रबंधन और आत्म चेतना महत्वपूर्ण है। व्यक्ति को भावनाओं पर परिस्थितिजन्य और विवेकपूर्ण नियंत्रण आना चाहिए। वह रविवार को जय भारत मारुति (जेबीएम) में भावनात्मक बुद्धिमता पर आयोजित कार्यशाला में रिकॉग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग (आरपीएल) के विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे।
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय आरपीएल के अंतर्गत जेबीएम के कर्मचारियों को डिग्री कोर्स करवा रहा है। इस दौरान कुलपति राज नेहरू खुद कर्मचारियों को पढ़ाने के लिए पहुंचे। उन्होंने कार्यशाला में एक शिक्षक की तरह कर्मचारियों को पढ़ाया और कई तकनीकी और व्यावहारिक पहलुओं से अवगत करवाया। नेहरू ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में और करियर में प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण होता है। चाहे वह प्रबंधन परिस्थितियों का हो विचारों का हो या फिर भावनाओं का हो। उन्होंने बताया अपनी भावनाओं को परिस्थिति के अनुसार नियंत्रित व निर्देशित करना अहम है। इससे पारस्परिक संबंधों का विवेकानुसार और सामंजस्यपूर्ण तरीके से प्रबंधन करने में भावनात्मक बुद्धिमत्ता सहयोग करती है। इस कार्यशाला के माध्यम से नेहरू ने प्रायोगिक प्रयास द्वारा क्रोध प्रबंधन, आनंद प्रबंधन एवं भय प्रबंधन का पाठ पढ़ाया।
नेहरू ने सभी कर्मियों को जोहारी विंडो द्वारा भी भावनात्मक बुद्धिमता की समझ को सरल किया। कार्यशाला में कुलपति के उद्बोधन में इतना तारतम्य बंधा कि कर्मियों के साथ-साथ शिक्षक भी कुलपति से गुरु सीखते नजर आए।
आरपीएल के प्रोग्राम मैनेजर एसके आनंद ने कर्मियों को पढ़ाने और इस वर्कशॉप में व्यवहारिक गुर सिखाने के लिए कुलपति नेहरू का आभार ज्ञापन किया। उन्होंने कहा कि यदि स्वयं एक कुलपति शिक्षक के रूप में उत्साहवर्धन करें तो यह अपने आप में ऐतिहासिक क्षण है इससे सभी के अंदर एक नई चेतना जागृत होगी।
इस अवसर पर श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के आरपीएल प्रोग्राम प्रबंधक एसके आनंद, जेबीएम ट्रेनिंग कॉलेज के एसोसिएट वाइस प्रेजिडेंट राजीव कुमार शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. आस्था जैन, दीपक गोयल, स्किल ट्रेनर उजिर हासिम, राहुल खटना एवं अन्य सदस्य भी मौजूद रहे।