December 24, 2024

350 मिलियन लोग डिप्रेशन से पीड़ित हैं : डब्ल्यूएचओ

Faridabad/ Alive News:  डिप्रेशन एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है। विशेष रूप से यह एक मूड विकार है जो लगातार उदासी और किसी भी चीज़ से कोई लगाव न होने के कारण होता है। डिप्रेशन कुछ दिनों की ही समस्या नहीं है यह एक लम्बी बीमारी है। डिप्रेशन प्रकरण की औसत समय 6-8 महीने होती है।

दुःख, बुरा महसूस करना, दैनिक गतिविधियों में रुचि या खुशी ना रखना हम इन सभी बातों से परिचित हैं। लेकिन जब यही सारे लक्षण हमारे जीवन में अधिक समय तक रहते हैं और हमें बहुत अधिक प्रभावित करते हैं, तो इसे अवसाद यानि डिप्रेशन कहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनिया भर में अवसाद सबसे सामान्य बीमारी है। और दुनिया भर में लगभग 350 मिलियन लोग अवसाद से प्रभावित होते हैं।

मूड का उतार-चढ़ाव अवसाद से अलग है। मूड का उतार-चढ़ाव तो हम अपने सामान्य और स्वस्थ जीवन में भी अनुभव करते हैं। हमारे दैनिक जीवन की चुनौतियों के प्रति हमारी अस्थायी भावुक प्रतिक्रियाएं अवसाद को जन्म नहीं देती हैं। इसी तरह जब हमारे किसी करीबी की मौत होती है और हम दुखी होते हैं तो वो भावना भी अवसाद नहीं है। हाँ अगर हम लम्बे समय तक उनकी मौत से दुखी रहते हैं तो अवसाद की समस्या हो सकती है।

डिप्रेशन के कई अलग-अलग प्रकार हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. मेजर डिप्रेशन
  2. बाइपोलर डिप्रेशन
  3. सायकोटिक डिप्रेशन

  1. मेजर डिप्रेशन – मेजर डिप्रेशन में व्यक्ति गहरी निराशा और आशाहीन में चला जाता है। प्रमुख अवसाद लक्षणों के संयोजन (combination) से चिह्नित है जो काम करने, अध्ययन करने, सोने, खाने और प्रमुख अवसाद (major depression) में व्यक्ति गहरे निराशा और आशाहीन्ता में चला जाता है। इस अवसाद के लक्षण व्यक्ति के काम करने, अध्ययन करने, सोने, खाने और आनन्ददायक गतिविधियों का आनंद लेने की क्षमता में हस्तक्षेप करते हैं। मेजर अवसाद केवल एक बार हो सकता है लेकिन अकसर यह जीवन भर में कई बार होता है।
  1. बाइपोलर डिप्रेशन – इस डिप्रेशन में मन लगातार कई हफ़्तो तक या महिनों तक बहुत उदास या फिर बहुत अत्यधिक खुश रहता है। उदासी में नकारात्मक विचार तथा मैनिक डिप्रेशन में ऊँचे ऊँचे विचार आते हैं। इसमें पीड़ित व्यक्ति का मन बारी-बारी से दो अलग और विपरीत अवस्थाओं में जाता रहता है। इस बीमारी में इंसान के व्यवहार में अचानक बदलाव देखने को मिलता है। कभी मरीज बहुत खुश तो कभी बहुत उदास रहता है।
  1. सायकोटिक डिप्रेशन – मौसम प्रभावित डिप्रेशनहर हर साल एक ही समय में आता है। आम तौर पर यह स्प्रिंग या सर्दियों में शुरू होता है और वसंत या गर्मियों की शुरुआत में समाप्त होता है। मौसम प्रभावित डिप्रेशन का एक दुर्लभ रूप समर डिप्रेशन (गर्मी के अवसाद) के रूप में जाना जाता है। यह वसंत या गर्मियों की शुरुआत में शुरू होता है और स्प्रिंग में समाप्त होता है।