November 16, 2024

3000 फीट जमीन के नीचे यूं जान पर खेलकर निकाला जाता है काला सोना

भोपाल 6 अप्रैल : फिल्मों में कोयला खान में मजदूरों को काम करते हुए तो आपने देखा होगा। यह कोयला खान फिल्मों में जितनी खतरनाक दिखती है, उससे कई गुना ज्यादा डरावनी और खतरनाक होती है अंडरग्राउड कोल माइन। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में वेस्टर्न कोल फील्ड की ढेरों अंडरग्राउंड माइंस हैं। इन्हीं माइंस में से एक माइन की तस्वीरें। जिसके जरिये आप जानेंगे कि कोयला माइन में काम करना कितना खतरनाक होता है। जगह-जगह से धंसती रहती है धरती…

p2

– कोयला माइन दो तरह की होती है, अोपन कास्ट और अंडर ग्राउंड।
– अंडर ग्राउंड माइन जमीन के हजारों फीट अंदर तक जाती है। यह माइन ३ हजार फीट अंदर तक गई है।
– माइन में जाने के लिए कर्मचारियों के लिए हेलमेट और टॉर्च वाली बैटरी अनिवार्य होती है।
– माइन में काम करने वाले कर्मचारियों को पहले ट्रेनिंग दी जाती है कि आपात स्थिति में कैसे निपटा जा सकता है।
– अंडरग्राउंड माइन में कई जगह देवी काली के मंदिर बने होते हैं।
– अंडर ग्राउंड माइन में दूर तक एक छोटी ट्रेन जाती है, जिसमें भरकर कोयला बाहर लाया जाता है।
– माइन में कुछ दूरी तक तो बिजली सप्लाई होती है, लेकिन जहां से कोयला निकाला जा रहा होता है, वहां बिजली नहीं होती।
– कर्मचारियों को बैटरी के टॉर्च के भरोसे ही काम करना होता है।
– जमीन के 3 हजार फीट नीचे ऑक्सीजन धरती की सतह के मुकाबले महज 30 प्रतिशत होती है।
– कोयला खनन जहां होता है, वहां तापमान करीब 30 से 32 डिग्री होता है और सांस लेने में काफी तकलीफ होती है।
– अंडर ग्राउंड में जमीन से निकाले जाने वाले कोयले की राख माइन में उड़ती रहती है।
– माइन में जगह-जगह जमीन धंसने लगती है। जमीन न धंसे इसके लिए कर्मचारियों को लोहे के पिलर बनाकर सपोर्ट लगाना होता है।
– कोयला निकालने के लिए विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे ही विस्फोट किया जाता है, पूरी जमीन में जबर्दस्त कंपन्न होता है। यह समय बेहद डरावना और खतरे वाला होता है। कई बार इस दौरान माइन की जमीन धंस जाती है।
– माइन में जगह-जगह पानी रिसता रहता है। कई जगह फिसलन होती है, जहां फिसलकर चोटिल हो सकते हैं।
– माइन में बकायदा एक छोटा सा हॉस्पिटल बना होता है। जो आपात स्थिति में कर्मचारियों के इलाज के लिए उपयोग में लाया जाता है।