मुंबई : दक्षिण मुंबई में एक समय अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के मालिकाना हक में रहा एक रेस्तरां, उसकी हरी सेडान कार और उपनगर माटुंगा में एक संपत्ति किराये पर देने के अधिकारों की बुधवार को नीलामी हुई जिसमें एक पूर्व पत्रकार ने रेस्तरां के लिए 4.28 करोड़ रुपये की सबसे अधिक बोली लगाई, जबकि डॉन के साथी छोटा शकील की तरफ से उन्हें ऐसा नहीं करने की धमकी मिली थी।
महाराष्ट्र के बाहर दाऊद के स्वामित्व वाली चार अन्य संपत्तियों की भी नीलामी की गयी। हालांकि इन संपत्तियों का और उनके लिए बोली लगाने वालों का ब्योरा नहीं मिला। पत्रकारिता से समाजसेवा में आए एस बालकृष्णन ने रेस्तरां के परिसर में गरीब बच्चों के लिए एक कंप्यूटर शिक्षा केंद्र शुरू करने की योजना बनाई है।
एनजीओ ‘देश सेवा समिति’ चलाने वाले बालकृष्णन ने दक्षिण मुंबई के होटल डिप्लोमेट में एक घंटे तक चली नीलामी में बोहरा समुदाय के दुरहानी ट्रस्ट को पीछे छोड़ दिया। गौरतलब है कि दाऊद की ह्यूंडै एसेंट कार की बोली हिंदू महासभा ने 3.32 लाख रुपये में लगाई। हरे रंग की सेडान कार पिछले चार साल से घाटकोपर में एक सरकारी सोसायटी में खड़ी है और बुरी हालत में है जिसके टायर फट गये हैं और शीशे टूटे हुए हैं। बालकृष्णन के अलावा बोली लगाने वालों में दिल्ली के वकील अजय श्रीवास्तव और हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि थे।
हालांकि माटुंगा की महावीर बिल्डिंग में दाउद के कमरे को किराये पर देने के अधिकार पाने वाले का पता नहीं है। दिल्ली जायका नामक रेस्तरां डांबरवाला बिल्डिंग में दाऊद के घर से कुछ ही दूर स्थित है जिसका नाम पहले होटल रौनक अफरोज था।
बालकृष्णन ने संवाददाताओं से कहा, ‘मेरा एनजीओ भेंडी बाजार के कमजोर महिलाओं और बच्चों को कंप्यूटर सिखाने में मदद के लिए इस संपत्ति को खरीदना चाहता है। इससे समाज में लोगों की मदद होगी और दाऊद जैसे गैंगस्टरों को कड़ा संदेश जाएगा कि भारतीय लोग उससे डरते नहीं हैं और वह अब देश में और आतंकवाद नहीं फैला सकता।’ जब उनसे संपत्ति की कीमत के बारे में पूछा गया जिसका बंदोबस्त उन्हें एक महीने में करना है तो उन्होंने कहा कि वह देश के आम लोगों से पैसा एकत्रित करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘मुझे देश के नागरिकों पर पूरा विश्वास है। मैं पूरी तरह उन पर निर्भर हूं। मेरे पास इतना पैसा नहीं है लेकिन भारत की जनता की मदद से एक महीने में बंदोबस्त हो जाएगा।’ छोटा शकील से कथित तौर पर मिली धमकी को तवज्जो नहीं देते हुए पूर्व पत्रकार ने कहा, ‘अगर मैं इस प्रक्रिया में शामिल नहीं होता तो मुझे देश के सामने शर्मिंदा होना पड़ता। पाकिस्तान में बैठा कोई शख्स हम पर हुकुम नहीं चला सकता।’