Delhi/Alive News: स्वांग और रास की मंडलियां पेशवाई के समय तरह-तरह के स्वांग रचाएंगी। कहीं अघोरी भस्म की होली खेलेंगे तो कहीं कान्हा गोपियों संग रास रचाएंगे। महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र महाकाल की लीला होगा। इसमें काशी के कलाकारों की टोलियां शामिल होंगी।त्रिवेणी के संगम पर महाकुंभ में काशी के कलाकार भी कला की प्रस्तुतियां देंगे। स्वांग और रास की मंडलियां पेशवाई के समय तरह-तरह के स्वांग रचाएंगी। कहीं अघोरी भस्म की होली खेलेंगे तो कहीं कान्हा गोपियों संग रास रचाएंगे।
महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र महाकाल की लीला होगा। इसमें काशी के कलाकारों की टोलियां शामिल होंगी।तन पर भस्म रमाए भोला खेल रहे हैं होरी…की थीम पर महाकाल और माता पार्वती के स्वरूपों की प्रस्तुतियां पहली बार महाकुंभ का हिस्सा बनेंगी। काशी की शिवबरात, बाबा विश्वनाथ की शोभायात्रा, मसान की होली और महाशिवरात्रि पर शिवबरात निकालने वाली टोलियां प्रयागराज जाएंगी। इसमें सबसे अधिक मांग महाकाल के स्वरूप की है। प्रयागराज में कई सामाजिक संस्थाओं और अखाड़ों की ओर से काशी की टोलियों को निमंत्रण दिया गया है।
महाकाल की भूमिका निभाने वाले सोनू ने बताया कि भगवान का स्वांग रचाना आसान नहीं होता है। वह तो बचपन से ही इसे देखते आ रहे हैं, अब तो वह खुद महाकाल बनते हैं। 28 साल की अवस्था में महाकाल के स्वरूप ने ही उनको अलग पहचान दिलाई है। 2019 में पहली बार गौरी केदारेश्वर मंदिर में महाकाल का स्वरूप धारण किया था। काला रंग और भभूत उड़ाते हुए महाकाल ने सबके दिल में जो जगह बनाई कि आज वह मेरी पहचान ही बन चुका