उन्होंने कहा, मैंने पहले बतौर निर्माण-सहायक प्रोडक्शन असिस्टेंट और फिर क्रिएटिव कॉन्सेप्चुलाइजर का काम किया और फिर आखिरकार मैंने टेलीविजन पर निर्देशन करना शुरू किया। निर्देशक ने कहा कि भविष्य के लिए योजना बनाने की बजाय, वह जिंदगी में जो भी उनके सामने आता है, उस पर ध्यान केंद्रित करते हैं। बिहार की प्रतिभा के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, बिहार में प्रतिभाओं का पर्वत है, बस विश्वास के साथ उन्हें एक नए आयाम तक ले जाना होगा। मैं खुद चाहता हूं कि एक फिल्म बनाऊं, जिसमें बिहार के लोगों को दिखा सकूं। मगर वह फिल्म आम नहीं होगी। वैसे भी मैं हड़बड़ी में फिल्म बनाने पर यकीन नहीं रखता। उन्होंने कहा कि बिहार की कहानी पर भी वह फिल्म बनाएंगे, बशर्ते कहानी अच्छी हो।
बिहारियों को प्रतिभावान बताते हुए उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों का दिमाग बहुत तेज होता है। बिहारी अपनी जगह खुद बना लेता है। सभी क्षेत्रों में देखिए बिहारी नजर आएंगे। फिल्मी दुनिया में भी कई बिहारी अपना मुकाम बना चुके हैं। बॉलीवुड को कई सफल प्रेम कहानियां देने वाले निर्देशक ने कहा कि आज भी उनकी बोली में बिहारीपन झलकता है। कई लोग कहते हैं कि आपकी जुबान में अभी भी बिहार जिंदा है। कम फिल्में बनाने के विषय में पूछे जाने पर बेबाक इम्तियाज कहते हैं, अच्छी फिल्मों के लिए समय देना पड़ता है। मैं जिंदगीभर फिल्म बनाना चाहता हूं, इसलिए किसी हड़बड़ी में नहीं हूं। सभी फिल्में दिल से बनाता हूं. अच्छी फिल्में नहीं करूंगा तो लोग भी बाहर कर देंगे।
इम्तियाज का मानना है कि फिल्में ऐसी बननी चाहिए, जो ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुंचे। इसके लिए जरूरी है कि फिल्म में मनोरंजन भरपूर हो। मगर मनोरंजन के मायने अश्लीलता एकदम नहीं है। फिल्मों में तो कतई अश्लीलता की जगह नहीं होनी चाहिए। पटना फिल्मोत्सव से खुश इम्तियाज कहते हैं, आप जिस क्षेत्र से आते हैं, वहां अगर आपके क्षेत्र की गतिविधियां होती हैं और लोगों का समर्थन मिलता है, तब उसे देखकर काफी खुशी मिलती है। आज बदलते वक्त में पटना फिल्म फेस्टिवल जैसे उत्सव की बहुत अच्छी शुरुआत देख रहा हूं।