Maharashtra/Alive News: छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने की घटना को लेकर महा विकास अघाड़ी मुंबई में हुतात्मा चौक से गेटवे ऑफ इंडिया तक विरोध मार्च निकाल रही है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार, शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे, पार्टी नेता आदित्य ठाकरे, संजय राउत और महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले भी विरोध मार्च में शामिल हुए। वहीं, भाजपा मामले में हो रही राजनीति को लेकर बड़ा प्रदर्शन कर रही है। इसे लेकर शहर में बड़ी संख्या में पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मी तैनात हैं।
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अनिल देसाई ने कहा कि प्रधानमंत्री भावुक थे, उन्होंने इस घटना पर दुख जताया, लेकिन महाराष्ट्र सरकार को जो व्यक्त करना चाहिए था, उसने ऐसा नहीं किया। उन्होंने विपक्ष के साथ गलत तरीके से बातचीत शुरू कर दी और कहा कि हम इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं, जबकि यह सबसे भावनात्मक मुद्दा था, जो महाराष्ट्र ने पहले कभी नहीं देखा। हमने सब कुछ लोकतांत्रिक तरीके से किया था। हमने प्रशासन, पुलिस से अनुमति मांगी थी। हमें उम्मीद थी कि समय पर अनुमति मिल जाएगी, जो उन्होंने नहीं दी। इसके विपरीत जो तैनाती की जा रही है, उसे देखें। ऐसा लग रहा है कि कोई युद्ध जैसा विरोध होने वाला है। महाराष्ट्र की जनता जानती है कि कौन राजनीति कर रहा है और कौन हमारे स्वाभिमान के साथ सड़क पर है। सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए।प्रदर्शन को लेकर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ये जो आज आंदोलन हो रहा है, पूरे तरीके से राजनीतिक आंदोलन है। इन्होंने कभी भी छत्रपति शिवाजी महाराज का सम्मान नहीं किया। आप मुझे पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी का लाल किले से एक भी भाषण दिखाइए, जिसमें उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज का उल्लेख किया हो। नेहरू जी ने तो अपने ‘भारत की खोज’ में छत्रपति महाराज का अपमान किया। क्या उसकी माफी कांग्रेस पार्टी और महा विकास अघाड़ी मांगेगी?
विपक्ष क्या लगा रहा आरोप?
मूर्ति के गिरने के बाद से ही विपक्ष महायुति सरकार समेत प्रधानमंत्री के खिलाफ हमलावर है। एनसीपी (शपा) अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं कर सकती। जब भी किसी मूर्ति का निर्माण किया जाता है, तो राज्य अधिकारियों से अनुमति लेना आवश्यक होता है। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि लोगों ने देखा कि प्रतिमा कैसे गिर गई और लोग किस तरह के बयान दे रहे हैं। राज्य भवन समुद्र तट पर है, लेकिन राज्यपाल की टोपी भी कभी नहीं उड़ी और वे कहते हैं कि शिवाजी महाराज की प्रतिमा तेज हवाओं के कारण गिर गई, यह कैसे संभव है? प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव की जल्दबाजी में मूर्ति का उद्घाटन कर दिया गया। पीएम ने अपराध किया है।सरकार की सफाईइस घटना के बाद राज्य की महायुति सरकार में शामिल दलों से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आईं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को विपक्षी दलों से इस मामले का राजनीतिकरण न करने का आह्वान करते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का गहरा सम्मान है और उन्हें आदर और सम्मान देना सभी का कर्तव्य है।
प्रतिमा किस वजह से गिरी? सिंधुदुर्ग में पिछले सप्ताह भारी बारिश और तेज हवाएं चली थीं। घटना के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने तेज हवाओं के कारण प्रतिमा गिरने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘यह प्रतिमा नौसेना द्वारा स्थापित की गई थी। उन्होंने इसे डिजाइन भी किया था। लेकिन लगभग 45 किमी प्रति घंटा की तेज हवाओं के कारण यह गिर गई और क्षतिग्रस्त हो गई।’ इसके अलावा भारतीय नौसेना ने एक बयान में कहा कि प्रतिमा को असाधारण मौसम की स्थिति के कारण दुर्भाग्यपूर्ण क्षति हुई है। संरचनात्मक इंजीनियर अमरेश कुमार ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘प्रतिमा मामले में, भार या जलवायु परिस्थितियों जैसे बाहरी कारणों से समस्या नहीं हुई है। बल्कि, नट और बोल्ट में जंग के कारण, जैसा कि पीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट में जिक्र किया गया है, प्रतिमा के अंदर फ्रेम बनाने वाले स्टील की प्लेटों में खराबी आ सकती है।’इस बीच, महाराष्ट्र कला निदेशालय के निदेशक राजीव मिश्रा ने कहा कि 35 फीट ऊंची प्रतिमा बनाने की नहीं बल्कि 6 फीट ऊंची प्रतिमा बनाने की अनुमति दी गई थी। निदेशालय को इसकी वास्तविक ऊंचाई और इसके निर्माण में स्टील प्लेट के इस्तेमाल के बारे में जानकारी नहीं थी।
पीएम मोदी ने मांगी माफी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने को लेकर माफी मांगी। उन्होंने कहा, ‘छत्रपति शिवाजी महाराज मेरे लिए सिर्फ नाम नहीं हैं। हमारे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज अराध्य देव हैं। पिछले दिनों सिंधुदुर्ग में जो हुआ, मैं सिर झुकाकर मेरे अराध्य देव छत्रपति शिवाजी महाराज के चरणों में माथा रखकर माफी मांगता हूं।’उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे संस्कार अलग हैं। हम वो लोग नहीं हैं जो आए दिन भारत मां के महान सपूत, इसी धरती के लाल वीर सावरकर को अनाप-शनाप बोलते हैं। अपमानित करते रहते हैं। देशभक्तों की भावनाओं को कुचलते हैं।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘वे लोग वीर सावरकर को अपशब्द कहने के बाद भी माफी मांगने को तैयार नहीं हैं। उनको पाश्चाताप नहीं होता है। महाराष्ट्र की जनता उनके संस्कार को अब जान गई है।’