महिला ही महिला का दुख न समझे तो कैसे सुधरेगी महिलाओं की दशा
Faridabad,(Tilak Raj Sharma) : जहां एक तरफ महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार तरह-तरह के कानून बना रही है और उन पर सख्ती से अमल करने के लिए दबाव दिया जा रहा है। उसके बावजूद भी महिलाओं के साथ शोषण जारी है। ऐसा ही एक मामला शहर के बादशाह खान अस्पताल में सोमवार को देखने को उस समय मिला जब एक पांच वर्षीय बलात्कार पीडि़त बच्ची मेडिकल के लिए अस्पताल पहुंचती है तथा डॉक्टर उस केस को गंभीरता से न लेते हुए मेडिकल करने में ही सुबह से शाम कर देते है। शाम करीब 4 बजे बड़ी जद्दोजहद के बाद बच्ची का मेडिकल किया जाता है।
हांलाकि उसका मेडिकल करने वाली महिला गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर सुबह मेडिकल का समय देकर ऑपरेशन थ्रीयेटर में पहुंच जाती है और 5 साल की बच्ची भूख-प्यास से घण्टों अपने पिता की गोद में रोती बिलखती रहती है। मौके पर उसकी सुध लेने के लिए ना तो कोई डॉक्टर और न ही कोई अस्पताल अधिकारी आता है। इस घटना के दौरान अस्पताल परिसर में जब कुछ पत्रकार करीब दो बजे पहुंचते हैं तो रोती बच्ची की आवाज सुनकर उसके पिता से रोने का कारण पूछते है।
पीडि़ता के पिता पत्रकारों को बताते हैं कि मैं सैक्टर-62 के आशियाना में अपने बच्चों के साथ रहता हूं और 7 दिसम्बर की दोपहर में इसी आशियाना में रहने वाले रामदयाल के लडक़े दीपक ने उसकी बच्ची को आशियाने के एक मकान में ले जाकर अपनी हवस का शिकार बना लिया। उसके बाद जब वह इसकी शिकायत लेकर सैक्टर-16 स्थित महिला थाने पहुंचा तो थाना अधिकारी राजरानी ने 9 दिसम्बर 2015 को मुझ पर समझौते का दबाव बनाने की कोशिश की। इस बात से मुझे उक्त महिला पुलिस अधिकारी से न्याय की कोई उम्मीद नहीं रही। तब जाकर मैंने अपने आशियाने की प्रधान बॉबी को साथ लेकर पुलिस कमिशनर को मामले से अवगत कराया, तब जाकर महिला थाने में हडकंप मचा और बच्ची की शिकायत को राजरानी से लेकर एएसआई राजकुमारी को दिया गया। एएसआई राजकुमारी द्वारा आरोपी युवक दीपक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर बच्ची को मेडिकल के लिए बादशाह खान अस्पताल में लाया गया।
पीडि़त बच्ची के पिता ने यह भी बताया कि गायनोलॉजिस्ट डॉ.पूनम गौड ने कहा था कि बच्ची को जब तक मेडिकल नहीं हो जाए तब तक कुछ भी खिलाना या पिलाना नहीं है, भूख सहन न होने के कारण बच्ची रो रही है। इस घटना की पूरी जानकारी लेने के बाद पत्रकारों ने डॉक्टरों से सम्पर्क किया तो पता चला कि गायनोलॉजिस्ट डॉ.पूनम गौड ऑपरेशन थ्रीयेटर में व्यस्त हैं। पत्रकारो की मध्यस्था से बच्ची का मेडिकल करीब 4 बजे हो पाया। इससे साफ जाहिर होता है कि महिलाओं में महिला के प्रति जरा सी भी टीश नजर नहीं आती। इसका अंदाजा उपरोक्त महिला डॉक्टर और महिला पुलिस अधिकारी के बरताव से लगाया जा सकता है। इसी वजह से शायद महिला घर में भी अपने आप को सुरक्षित महसुस नही करती।