केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को यूनिवर्सिटी की तरफ से दी मानद उपाधि, केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के 30वें दीक्षान्त समारोह में विद्यार्थियों को दिए मेडल, राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने पीएचडी के 318 और एमफिल के 27 विद्यार्थियों को वितरित की डिग्रियां, 30वें दीक्षान्त समारोह में कुल 2000 विद्यार्थियों को दी डिग्रियां, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने की दीक्षान्त समारोह को वार्षिक कैलेण्डर गतिविधियों में शामिल करने की घोषणा, प्रदेश में 27 जगहों पर खोले जाएंगे राजकीय कॉलेज, विश्वविद्यालय का 30वां दीक्षान्त समारोह सम्पन्न
Kurukshetra/Alive News : केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालयों से शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थी भारत को महान बनाने में अपना योगदान दें। इस युवा पीढ़ी के योगदान से भारत फिर से जगत गुरू बन सकेगा और दुनिया को शान्ति का संदेश देगा। इस देश में जगत गुरू बनने की तमाम मौलिक जरूरते विद्यमान हैं।
केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के आडिटोरियम हॉल में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित 30वें दीक्षान्त समारोह में बोल रहे थे। इससे पहले केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश चन्द्र शर्मा, कुलसचिव डॉ. प्रवीण कुमार सैनी भारत की पारम्परिक वेशभूषा से सुसज्जित होकर विश्वविद्यालय की शैक्षणिक यात्रा में शामिल हुए और इस दौरान गीता के श£ोकों के साथ मेहमानों का स्वागत हुआ। इसके उपरान्त दीपशिखा प्रज्ज्वलित कर दीक्षान्त समारोह का शुभारंभ किया। इस दौरान कुलपति प्रो. कैलाश चन्द्र शर्मा के अनुरोध पर राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने विधिवत् रूप से दीक्षान्त समारोह शुरू करने की घोषणा की है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चन्द्र शर्मा ने विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार तैत्तिरीय उपनिषद शिक्षावल्ली की शिक्षाओं के माध्यम से विद्यार्थियों को भावी जीवन के लिए अमूल्य शिक्षाएं दी।
इस दीक्षान्त समारोह में केन्द्रीय मंत्री ने विभिन्न विभागों के गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले 59 विद्यार्थियों को मेडल पहनाकर सम्मानित किया और राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने पीएचडी के 318 और एमफिल के 27 विद्यार्थियों को डिग्रियां वितरित की। इसके साथ ही कुलपति ने विभिन्न विभागों के एमए के विद्यार्थियों को डिग्रिया देने की विधिवत रूप से अनुमति प्रदान की। इस कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री, राज्पाल, मुख्यमंत्री औैर शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालय की स्मारिका का विमोचन भी किया।
केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी और विश्वविद्यालय प्रशासन को डाक्टरेट आफ साईंस की मानद उपाधि देने पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन धरा को अतुल्य ज्ञान की धरती की संज्ञा दी गई है और इसी पावन धरा पर अर्जुन को कर्म करने का संदेश देने का काम किया। आज इस पावन धरा के कर्म करने के ज्ञान को युवा पीढ़ी को ग्रहण करना होगा। इस विश्वविद्यालय से डिग्री लेने के बाद जीवन का दूसरा चरण शुरू होगा। युवा पीढ़ी को शिक्षा प्राप्ति तक ही अपने ज्ञान को सीमित नहीं रखना होगा। इस ज्ञान और संस्कार से राष्ट्र और समाज के विकास में अपना योगदान देना होगा तभी इस शिक्षा के मायने सार्थक हो सकेंगे। उन्होंंने कहा कि दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जो चरित्र निर्माण की शिक्षा देता है। इसलिए सदियों से दुनिया के कोने-कोने से संस्कार और चरित्र निर्माण की शिक्षा लेने के लिए लोग भारत की पावन धरा पर आ रहे हैं।
केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि मानव के जीवन में धन और दौलत छूट जाएं तो कोई गम नहंी करना चाहिए लेकिन चरित्र निर्माण के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहिए। भारत सांस्कृतिक दृष्टि से चीन पर बिना किसी सैनिक के बल पर 2000 वर्षो से राज कर रहा है। यह केवल देश की संस्कृति और संस्कारों के कारण ही संभव हो पाया है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश की पारम्परिक संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं इसके लिए योग, आयुर्वेद, जैविक खेती जैसे विषयों पर बल देने का काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया में साईंस टैक्रोलाजी विषय का ज्ञान और विज्ञान नहीं हैै केवल भारत की एक ऐसा देश है जहां पर साईंस टैक्रालॉजी का ज्ञान और विज्ञान है। दुनिया के विद्वान भी इसको मानते हैं कि जिस देश में गंगा बहती है उस देश से ज्ञान की प्राप्ति की जा सकती है और इसमें देश के ऋषियों और मुनियों का योगदान रहा है।
उन्होंने युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि देश की संस्कृति और परम्परा के अतीत को कभी भी भूलना नहीं चाहिए। इस देश का गौरवशाली इतिहास है और यह इतिहास हमेशा युवा पीढ़ी को आगे बढऩे की शक्ति प्रदान करता रहेगा। इतना ही नहीं युवा पीढ़ी का अपने जीवन के ज्ञान को संस्कारों के साथ और संस्कारों को चरित्र के साथ भी जोडऩा होगा। युवा पीढ़ी को अपने गुरूओं का हमेशा आदर-सत्कार भी करना होगा तभी भारत विकास की राह पर आगे बढ़ पाएगा।
राज्पाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने डिग्रियां हासिल करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं और दीक्षान्त समारोह के सफल आयोजन पर विश्वविद्यालय प्रशासन को बधाई देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों को डिग्री देकर राष्ट्र और राज्य के विकास में योगदान देने का जो संदेश दिया है उस संदेश को हमेशा अपने जहन में रखना है। इसी तरह केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री मनोहर लाल को विश्वविद्यालय की तरफ से जो मानद उपाधि दी गई है यह उपाधि भी उनके जीवन को ओर आगे लेकर जाएगी। इस विश्वविद्यालय कैम्पस में 7000 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं अगर इन विद्यार्थियों को विकास की धारा के साथ जोड़ दिया जाए तो राष्ट्र प्रगति की राह पर ओर तेजी से आगे बढ़ेगा।
उन्होंने लिटरेट और एजुकेट के मायनों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा से ही जीवन में परिवर्तन लाया जा सकता है। इस शिक्षा से जीवन जीने और उपयोगिता को समझा जा सकता है। विद्यार्थियों को शिक्षित बनाने में शिक्षकों, सरकार, प्रशासन के त्याग, साधना और योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। सभी का एक उद्देश्य है कि प्रत्येक विद्यार्थी को एक अच्छा इंसान बनाया जा सके। जब विद्यार्थी अपने जीवन में राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देता है तभी सभी का लक्ष्य पूरा होता नजर आएगा। उन्होंने स्वामी विवेकानंद और रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे महान लोगों के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 21वीं शताब्दी भारत की है और इस शताब्दी में युवा पीढ़ी का अहम योगदान रहेगा।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दीक्षान्त समारोह की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वर्ष 2012 के बाद 5 सालों में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में दीक्षान्त समारोह का आयोजन किया गया है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रशासन को भविष्य में दीक्षान्त समारोह को अपने कैलेंडर में शामिल कर हर साल दीक्षान्त समारोह का आयोजन करना चाहिए। यह विश्वविद्यालय प्रदेश का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है। इसलिए इस विश्वविद्यालय को एनआईआरएफ की रैंकिंग के 100 विश्वविद्यालयों में शामिल किया गया है। इस दीक्षान्त समारोह में पारम्परिक वेशभूषा मन को लुभा रही है और इस वेशभूषा को लगातार बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने डाक्टरेट आफ सोशल साईंस की मानद उपाधि जो उपाधि दी है यह उपाधि लेने के क्षण काफी रोमांचकारी हैं।
सीएम ने कहा कि डिग्रियां हासिल करने वाले विद्यार्थियों को अब अपने अगले पड़ाव में समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह करना होगा क्योंकि समाज ही सब कुछ है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने समाज सेवा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने समाज के अन्तिम व्यक्ति की संवेदनाओं को समझा और अंतिम व्यक्ति को मजबूत करने के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। इन्हीं भावों को युवा पीढ़ी को अपने मन में ग्रहण करना होगा ताकि आत्म केन्द्र से दूर होकर युवा समाज के प्रति कार्य कर सकें। उन्होंंने कहा कि प्रदेश में पहले की सरकारों ने क्षेत्रवाद, जातिवाद जैसे कई विकार देने का काम किया लेकिन भाजपा सरकार ने हरियाणा एक हरियाणवी एक की नीति पर चलने का काम किया है और विपक्ष ने भी इस नीति की प्रशंसा की है।
उन्होंने कहा कि युवाओं को अपनी शिक्षा और संस्कारों का उपयोग राष्ट्र निर्माण के लिए करना चाहिए। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 1956 में हुई और हरियाणा का पहला विश्वविद्यालय होने का गौरव भी हासिल किया। राज्य सरकार प्रदेश की युवा पीढ़ी को शिक्षित और संस्कारित करने का काम कर रही है इसलिए सरकार ने एक ही दिन में बेटियों के लिए 21 कालेज खोलने का काम किया और इस वर्ष शीघ्र ही प्रदेश में 27 राजकीय कालेज ओर खोले जाएंगे। अब छात्राओं को कालेज जाने के लिए 20 किलोमीटर का सफर तय नहीं करना पड़ेगा। इतना ही नहीं विश्वविद्यालयों को क्षेत्रीय दूरी के साथ जोडऩे का काम भी किया है। उन्होंने कहा कि केवल डिग्रियां हासिल करने से युवा पीढ़ी का विकास संभव नहीं है। युवा पीढी को कुशल बनाने के लिए पलवल में प्रदेश का पहला कौशल विश्वविद्यालय खोला जाएगा और वर्ष 2017-18 में 800 कोर्सो के जरिए 1लाख 30हजार विद्यार्थियों को कुशल बनाया जाएगा। अब राज्य सरकार प्राथमिक शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है।
शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने कहा कि डिग्रियां हासिल करने वाले विद्यार्थी अब जीवन के अगले पड़ाव की तरफ आगे बढ़ रहे हैं इसलिए विद्यार्थियों को अपने जीवन में जो कुछ करना है वह पूरी तन्मयता के साथ करना होगा। युवाओं को अपने जीवन में एक ही मिशन निर्धारित करना होगा और युवाओं को राष्ट्र सेवा, अच्छा किसान, डॉक्टर, इंजीनियर बनकर समाज के लिए सेवा करने का लक्ष्य पूरा करना होगा। उन्होंने कहा की भारत की पहचान पूरी दुनिया में है और इस पहचान को बनाए रखने में युवा पीढ़ी को अपना अहम योगदान देना होगा।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चन्द्र शर्मा ने विश्वविद्यालय के 30वें दीक्षान्त समारोह मेंं पहुंचे मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रदेश का सबसे बड़ा और पुराना विश्वविद्यालय है इसलिए इस नैतिक जिम्मेदारी को आगे बढ़ाते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को डिजीटल विश्वविद्यालय बनाने के लक्ष्य को पूरा करना है। इतना ही नहीं इस विश्वविद्यालय के प्रत्येक कक्षा को स्मार्ट क्लास रूम व डिजीटल क्लास रूम बनाना है। इस विश्वविद्यालय में पहली बार लिंगानुपात की स्थिति को जहन में रखते हुए प्रत्येक कोर्स में सिंगल गर्ल चाइल्ड योजना के तहत एक सीट निर्र्धारित की गई। इस विश्वविद्यालय को ग्रीन क्लीन विश्वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया है। कुलपति ने कहा कि जब तक नई सोच, नए विचार, नवाचार तथा गुणवत्तापूर्ण शोध की दिशा में तेजी से आगे नहीं बढेंगे। जब हम आधुनिक भारत में नालंदा, तक्षशिला जैसे संस्थानों जैसी श्रेष्ठ ज्ञान परम्पराएं शुरू नहीं कर पाएंगे। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा का नालंदा व तक्षशिला बनने की ओर अग्रसर हो इसलिए विश्वविद्यालय में छोटे-छोटे प्रयास परन्तु दिव्य लक्ष्य को ध्यान में रखकर हम आगे बढ़ रहे हैं।
इस दीक्षान्त समारोह में कुलपति प्रो. कैलाश चन्द्र शर्मा ने केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, राज्पाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा को स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस कार्यक्रम के मंच का संचालन विश्वविद्यालय के लोक सम्पर्क विभाग के उप-निदेशक डॉ. अशोक शर्मा ने किया।
इस मौके पर सांसद राजकुमार सैनी, प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी, मुख्य संसदीय सचिव श्याम सिंह राणा, विधायक सुभाष सुधा, विधायक डॉ पवन सैनी, उपायुक्त सुमेधा कटारिया, पुलिस अधीक्षक अभिषेक गर्ग, जिला परिषद चैयरमेन गुरदयाल सुनहेडी, भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मवीर मिर्जापुर, डीन एकेडमिक अफेयर प्रो. अनिल वोहरा, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. पवन कुमार शर्मा, डीन परीक्षा प्रो. सीआर ड्रोलिया, परीक्षा नियंत्रक डॉ हुक्म सिंह, डॉ ओपी आहुजा, विश्वविद्यालय के डीन, डायरेक्टर, चैयरपर्सन, शिक्षक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी मौजूद थे।