Alive News (Palwal) : पंजाबी धर्मशाला में चल रही श्रीमद् भागवत सप्ताह भक्ति ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन बाल व्यास देवी राधिका ने कथा सुनाते हुए कहा कि भागवत ऐसी कथा है कि जिसके सुनने मात्र से भी व्यकि भव सागर से पार हो जाता है, तथा भगवान अपने भक्तो की हमेशा रक्षा करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि एक मां का फर्ज होता है कि अपने बच्चों में अच्छे-अच्छे संस्कार डाले। उन्होंने कहा कि बच्चों को अच्छे संस्कार तभी दिये जा सकते हैं, जब वह बाल अवस्था में होते हैं।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कुम्भार कच्ची मिटटी से जैसी मरजी चाहे मिटटी को उसे उसी शक्ल में ढाल सकता है। उन्होंने भगत प्रहलाद की कथा सुनाते हुए कहा कि भगत प्रहलाद की माता जिस मंदिर में जाती, भक्त प्रहलाद को अपने साथ ले जाती। भक्त प्रहलाद के अन्दर अपनी मां के दिये हुए अच्छे संस्कार थे। भक्त प्रहलाद हमेशा नारायण-नारायण शब्द गुनगुनाता रहता था। इन शब्दों को सुनकर भक्त प्रहलाद के पिता हिरणाकश्यप अपने आप को भगवान मानता, वह कहता था कि मेरी ही पूजा की जाए। जबकि इसके विपरित भक्त प्रहलाद भगवान नारायण की पूजा करता था।
बेटे की इस बात से दुखी होकर हिरणाकश्यप ने भक्त प्रहलाद को मारने के लिए अनेक प्रयत्न किये। उसे पहाड़ से गिराया गया, काल कोठरी में डाला गया, जहर पिलाकर मारने का प्रयत्न किया गया, काले नाग से डसवाया गया। परन्तु भक्त प्रहलाद नही मारा गया। अन्त में हरणाकश्यप की बहन होलिका ने अपने भाई को सुझाव दिया कि उसके पास एक ऐसी ओडऩी है कि जिसे पहनकर आग उसका कुछ भी नही बिगाड़ पाती। होलिका ने भाई को सुझाव दिया कि आग का इन्तजाम किया जाये।
आग में बैठकर होलिका अपने भतीजे प्रहलाद को गोद में लेकर बैठ गई। कथा वाचक देवी राधिका ने कहा कि भगवान अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करते हैं। उन्होने कहा कि उस समय ऐसी हवा चली कि होलिका की ओढऩी उढक़र भक्त प्रहलाद के ऊपर आ गई। होलिका जल गई, भक्त प्रहलाद बच गये। भगवान ने नरङ्क्षसह का अवतार लेकर हिरणाकश्यप को मार दिया। देविका राधिका ने कहा कि इस भागवत सप्ताह में अनेकों कहानियां हैं, जिसके सुनने से व्यक्ति अपने इस जीवन व आने वाले अगले जीवन को भी सफल बनाता है।