November 15, 2024

धुम्रपान बन सकता है इम्फीसेमा बीमारी का कारण

नई दिल्ली 2 अप्रैल  : अगर आपको भी लंबे समय से फेफड़ों में सूजन है, तो इसकी जांच कराएं, क्योंकि यह इम्फीसेमा रोग का लक्षण हो सकता है। इस बीमारी का प्रमुख कारण धूम्रमान माना जाता है। भारत के एक तिहाई लोग तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं। शहरी क्षेत्रों में सिगरेट पीना और तंबाकू खाना आम बात है, वहीं, गांव में बीड़ी, हुक्का और चिलम काफी मात्रा में प्रयोग किया जाता है।

जो लोग धूम्रपान या तंबाकू का सेवन नहीं भी करते हैं, उनमें भी यह बीमारी पाई जाती है। उनके मामले में अल्फा-1 एंटीट्राइस्पिन नामक प्रोटीन की कमी की वजह से इम्फीसेमा हो सकता है। इसके अलावा फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाली गैसों के संपर्क में आने, वायु प्रदूषण से सांस पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव और उचित हवादार माहौल न होना भी फेफड़ों की सेहत पर असर डाल सकते हैं।

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आईएमए के अध्यक्ष डॉ. एस. एस. अग्रवाल और आईएमए के ऑनरेरी सेक्रेटरी जनरल और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने बताया कि “फेफड़ों को नुकसान पहुंचने से बचाने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को धूम्रपान छोड़ना होगा। ताकत और ऊर्जा विकसित करने के लिए नियमित रूप से उन्हें व्यायाम शुरु करना होगा”।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि लोगों को अपने आसपास के माहौल को साफ सुथरा, खुला और हवादार रखना चाहिए। अंगीठी और अन्य जगहों, जहां पर अत्यधिक प्रदूषण होता है वहां जाने से बचना चाहिए। साथ ही अपने लाइफस्टाइल में बदलाव लाते हुए स्वस्थ आहार लेना चाहिए। डॉक्टर का कहना है कि गंभीर हालत में इंजेक्शन, नेब्यूलाइजर, ऑक्सीजन थेरेपी और मास्क या एंडोट्रेचियल ट्यूब से सांस लेने में सहयोग जैसे इलाज की सलाह दी जाती है। बीमारी के असर को कम करने के लिए मेडिकल सेवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन धूम्रपान छोड़ना सबसे बड़ी समझदारी की बात है।

बीमारी के लक्षण
इस बीमारी के कई ऐसे लक्षण हैं, जिन पर गौर करते हुए आप डॉक्टर से कंसल्ट कर सकते हैं। सांस का टूटना या सांस ना ले पाना, छाती में जकड़न, घबराहट, बलगम वाली खांसी, गले में अत्यधिक चिपचिपाहट, सांस प्रणाली में बार-बार सामान्य या गंभीर संक्रमण होना, उंगलियों के नाखूनों और होठों का नीला होना, सुस्ती महसूस होना, अचानक वजन कम हो जाना आदि।